चुपचाप रहती हो तो खफा खफा सी लगती हो।
नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं,जब भी मिलते है कहते हैं कि तुझे छोड़ेंगे नहीं।
तू हज़ार बार भी रूठे तो मना लूँगा तुझे,मगर मोहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो।
बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
लौट के कब आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
आँखें रहेंगीं शाम-ओ-सहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा,
मैं राह देखता रहा वो रस्ता बदल गया
तारीफ के काबिल हम कहाँ,
चर्चा तो आपकी चलती है,
सब कुछ तो है आपके पास,
बस सींग और पूंछ की कमी खलती है।
कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें,
तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है…...!!!
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे,
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं ।
अंदर कोई झाँके तो टुकड़ों में मिलूंगा,
ये हँसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है।
कुछ मोहब्बत का नशा था पहले हमको,
दिल जो टूटा तो नशे से मोहब्बत हो गई।
वो शख्स फिर से दिल तोड़ गया आज,
जिसे कभी हम पूरी दुनिया कहा करते थे।
कोई इल्ज़ाम रह गया है तो वो भी दे दो,
पहले भी बुरे थे हम अब थोड़े और सही।
रूप से अक्सर प्यार नहीं होता,
मन चाहा सपना साकार नहीं होता,
हर किसी पर न मर मिटना मेरे दोस्त,
क्योंकि हर किसी के दिल में सच्चा प्यार नहीं होता।
मैंने तो तुझे भुला दिया फिर
क्यों तेरी यादों ने मुझे रुला दिया।
शायरी उसी के लबों पर सजती है साहेब,
जिसकी आँखों में इश्क रोता हो।
ना गौर कर मेरे तरकीब-ए-मुहब्बत पर,
काबिल-ए-गौर हैं मेरी तहरीरें मुहब्बत पर।
यूं तो इश्क दो दिलों के हिफाजत का मसला है,
पर हो रकाबत, चलती है शमशीरें मुहब्बत पर।
ये आग सीने में लगती है, धुआं भी नहीं उठता,
जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर।
इश्क ने झिंझोड़े है कई बादशाहों के महल,
पर कायम रहें हैं कई छत शहतीर-ए-मुहब्बत पर।
बंदिशों का दस्तूर तो सदियों पुराना है मगर,
बंधती-टूटती रही है ये जंजीरें मुहब्बत पर।
यूं तो हो गए निकम्मे कितने आदमी काम के,
पर चमके हैं कई गालिब-मीरे मुहब्बत पर।
यूं तो दरिया है इश्क तैरते भी हैं सारे,
मगर रहते हैं प्यासे कितने जजीरे मुहब्बत पर।
खोकर पाने का मज़ा ही कुछ और है,
रोकर मुस्कुराने का मज़ा ही कुछ और है,
हार तो जिंदगी का हिस्सा है मेरे दोस्त,
हार के बाद जीतने का मजा ही कुछ और है।
बहुत बोर हो रहा था फिर गली की एक लड़की को panda बोल दिया, फिर क्या था शाम तक रौनक रही गली में
जिंदगी हसीन है पर जीना नहीं आता,
हर चीज में नशा है पर पीना नहीं आता,
सब मेरे बगैर जी सकते हैं
बस मुझे ही किसी के बिना जीना नहीं आता।
शीशे सा बदन लेकर यूँ
निकला ना करो राहों में,
पत्थर से छुपे होते हैं
यहाँ लोगों की निगाहों में ।
क्या बताऊँ अपना हाल ए दिल मैं तुम्हें,
देखूं जिधर बस एक ही नूर नज़र आये,
अब बता भी दो दवा ए दर्द क्या है इसकी,
या फिर किसी जाल में फसाया है तुमने हमें।
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।
साथ किसी का मिल जाए तो जीने का मजा आ जाये, तन्हा ना रहे कोई, हर शक्ष साथ पा जाये, सुकुन मीले उसे जो तलाशे हैं सुकुन, मुझे तो बस उसकी एक जलक मिल जाए ...!
अपनी शख्शियत की क्या मिसाल दूँ यारों...
ना जाने कितने मशहूर हो गये
मुझे बदनाम करते करते।
बातें ऐसी करो कि जज्बात कम न हों,
ख़यालात ऐसे रखो कि कभी ग़म न हो,
दिल में अपनी इतनी जगह देना हमें दोस्त,
कि खाली खाली सा लगे जब हम न हों।
तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम,
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम,
मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन,
तेरा नाम दिल से न मिटा पायेगें हम।
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना,
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।
बयाँ करना मोहब्बत को आसान न हुआ था,
ये जो दर्द है कैसे कह दूँ कि ये तुमने दिया है।
मेरी फितरत में नहीं अपना दर्द बयां करना,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर मुझे।
आवाज़ में ठहराव था आँखों में नमी सी थी,
और कह रहा था मैंने सब कुछ भुला दिया।
उम्मीद की हस्ती को कोई डुबा नहीं सकता,
रौशनी का दीया कोई बुझा नहीं सकता,
हमारी दोस्ती है ताजमहल की तरह,
जिसे कोई दोबारा बना नहीं सकता।
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है,
आखिर इस दर्द की दवा क्या है,
हमको उनसे है उम्मीद वफ़ा की,
जो जानते ही नहीं वफ़ा क्या है।
नशा पिला के गिराना तो
सब को आता है,
मज़ा तो तब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी ।
तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना दूँ,
तुझे मिले बिना तेरा हाल बता दूँ,
मेरी मोहब्बत में इतना दम है कि,
तेरी आँखों के आँसू अपनी आँखों से गिरा दूँ।
आज भी प्यार करता हूँ तुझसे,
ये नहीं कि कोई मिली ही नहीं,
मिलीं तो बहुत तेरे बाद पर,
तू किसी चेहरे में दिखीं ही नहीं।
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में शिद्दत न रही,
अपनी ज़िन्दगी में हो गए मसरूफ वो इतना,
कि हम को याद करने की फुर्सत न रही।
आखिर क्यूँ बनाया मुझे ऐ बनाने वाले,
बहुत दर्द देते हैं ये ज़माने वाले,
मैंने आग के उजाले में कुछ चेहरे देखे,
मेरे अपने ही थे मेरा घर जलाने वाले।
उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में दर्द आया तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
खुद को वो चाहे लाख मुकम्मल समझे,
लेकिन मेरे बिना, वो मुझे अधूरा ही लगता है।
काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे,
हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो।
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा,
ज़माना आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है।
मेरे गुनाह साबित करने की ज़हमत ना उठा,
बस खबर कर दे क्या क्या कबूल करना है।
अब क्यूँ तकलीफ होती है तुम्हें इस बेरुखी से,
तुम्हीं ने तो सिखाया है कि दिल कैसे जलाते हैं।
तुमने कहा था आँखें भर के देखा करो मुझे,
अब आँख तो भर आती है पर तुम नहीं दिखते।
बहुत मसरूफ हो शायद जो हम को भूल बैठे हो,
न ये पूछा कहाँ पे हो न यह जाना कि कैसे हो।
आखिर को ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ से,
कहाँ है वो शख्स जो तुझे मुझसे अजीज़ था।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,उनकी नफरत ने तोड़े बहुत मेरी वफ़ा के घर।
था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।
अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी।
वो एक ख़त जो उसने कभी लिखा ही नहीं,
मैं रोज बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ।
रंज़िश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ।
इक झलक देख लें तुझको तो चले जाएंगे,
कौन आया है यहाँ उम्र बिताने के लिए।
हम तो खुशियाँ उधार देने का
कारोबार करते हैं... साहब
कोई वक़्त पे लौटाता नहीं है
इसलिए घाटे में हैं..!
किस्मत बुरी या मैं बुरा... ये फैसला न हो सका,
मैं हर किसी का हो गया कोई मेरा न हो सका।
सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,
तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।
- via bkb.ai/shay
एक फ़साना सुन गए एक कह गए,
हम जो रोये तो मुस्कुराकर रह गए।
एक किरन भी तो नहीं ग़म की अंधेरी रात में,
कोई जुगनू कोई तारा कोई आँसू कुछ तो होता।
तुम्हें पा लेते तो किस्सा ग़म का खत्म हो जाता,
तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लम्बी चलेगी।
अगर रातों में जागने से होती ग़मों में कमी,
मेरे दामन में खुशियों के सिवा कुछ नहीं होता।
कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक उसका ग़म होगा,
मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा।
क्या जाने किसको किससे है अब दाद की तलब,
वो ग़म जो मेरे दिल में है तेरी नज़र में है।
तेरे वजूद की खुशबू बसी है मेरी साँसों में,
ये और बात है कि नजर से दूर रहते हो तुम।
कितना अजीब है ये फलसफा ज़िन्दगी का,
दूरियाँ बताती हैं नजदीकियों की कीमत।
वो हैं खफा हमसे या हम हैं खफा उनसे,
बस इसी कशमकश में दूरियाँ बढ़ गयीं।
मुझको तेरे सलाम से शिकवा नहीं मगर,
चाहे बेरुखी के साथ हो बस दूर का न हो।
क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ,
जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे।
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर,
कि दर्द हद से जो गुज़रेगा तो मुस्कुरा दूंगा...!
तेरे मिलने का गुमान तेरे न मिलने की खलिश,
वक़्त गुजरेगा तो ज़ख्म भी भर जायेंगे।
मैं उसके चेहरे को दिल से उतार देता हूँ,
कभी-कभी तो मैं खुद को भी मार देता हूँ।
बरबाद बस्तियों में तुम किसको ढूंढ़ते हो,
उजड़े हुए लोगों के ठिकाने नहीं होते।
ज़ख्म देने का तरीका कोई न मिला उन्हें,
महफ़िल में छेड़ते रहे ज़िक्र-ए-वफा बार-बार।
अभी मियान में तलवार मत रख अपनी
अभी तो शहर में इक बे-क़सूर बाक़ी है।
इस सलीके से मुझे क़त्ल किया है उसने,
दुनिया अब भी समझती है कि ज़िंदा हूँ मैं।
जाने उस शख्स को कैसे ये हुनर आता है,
रात होती है तो आँखों में उतर आता है ।
मैं उस के खयालो से बच के कहाँ जाऊं,
वो मेरी सोच के हर रस्ते पे नजर आता है ।
ऐ सुबह तुम जब भी आना,
सबके लिए खुशियाँ लाना,
हर चेहरे पर हँसी सजाना,
हर आँगन में फूल खिलाना ।
यकीन है कि ना आएगा इस से मिलने कोई,
तो फिर इस दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
कभी किसी का जो होता था इंतज़ार हमें,
बड़ा ही शाम-ओ-सहर का हिसाब रखते थे।
कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन,
वही है शौक़ वही इंतज़ार बाक़ी है।
तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते,
अगर अपनी ज़िन्दगी पर हमें ऐतबार होता।
अब आयें या न आयें इधर... पूछते चलो,
क्या चाहती है उनकी नजर पूछते चलो,
हमसे अगर है तर्क-ए-ताल्लुक तो क्या हुआ,
यारो कोई तो उनकी खबर पूछते चलो।
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माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
माँ की बात कभी टाली नहीं जाती,
अपने सब बच्चे पाल लेती है बर्तन धोकर,
और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती।
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